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प्रेम भाव जाग रे




शिव छंद
मात्रा भार 11

प्रेम भाव जाग रे,
प्रीति रीति मांग रे,
है यही सशक्त रे,
जिंदगी संवार रे।

सुष्ठ भाव निर्मला,
पुष्ट स्नेह उज्ज्वला,
कागजी रहे नहीं,
दिल मिले सदा सही।

लांघ जा समुद्र को,
हाथ जोड़ रुद्र को,
रुक न जा तु राह में,
चल बढ़ो अथाह में।

रचनाकार: डॉक्टर रामबली मिश्र
९८३८४५३८०१

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4 Comments

Haaya meer

02-Nov-2022 05:43 PM

Amazing

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Sachin dev

02-Nov-2022 04:32 PM

Nice

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Gunjan Kamal

02-Nov-2022 11:49 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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